आइये जाने क्या हो हमारा खान पान और दिनचर्या ताकि हम इस मौसम का भी पूरा आनंद ले सके...
- इस ऋतु में वात का शमन करने वाले तथा शरीर में जलीय अंश का संतुलन रखने वाले मधुर, तरल, सुपाच्य, हलके, ताजे, स्निग्ध, रसयुक्त, शीत-गुणयुक्त पौष्टिक पदार्थों का सेवन करना चाहिए।
- आहारः पुराने साठी के चावल, दूध, मक्खन तथा गाय के घी के सेवन से शरीर में शीतलता, स्फूर्ति और शक्ति आती है। सब्जियों में लौकी, कुम्हड़ा(पेठा), परवल, हरी ककड़ी, हरा धनिया, पुदीना और फलों में तरबूज, खरबूजा, नारियल, आम, मौसमी, सेब, अनार, अंगूर का सेवन लाभदायी है।
- नमकीन, रूखे, बासी, तेज मिर्च-मसालेदार तथा तले हुए पदार्थ, अमचूर, अचार इमली आदि तीखे, खट्टे, कसैले एवं कड़वे रसवाले पदार्थ न खायें।
- कच्चे आम को भूनकर बनाया गया मीठा पना, नींबू-मिश्री का शरबत, हरे नारियल का पानी, फलों का ताजा रस, ठंडाई, जीरे की शिकंजी, दूध और चावल की खीर, गुलकंद तथा गुलाब, पलाश, मोगरा आदि शीतल व सुगंधित द्रव्यों का शरबत जलीय अंश के संतुलन में सहायक हैं।
- धूप की गर्मी व लू से बचने के लिए सिर पर कपड़ा रखना चाहिए एवं थोड़ा-थोड़ा पानी पीते रहना चाहिए। उष्ण वातावरण से ठंडे वातावरण में आने के बाद तुरंत पानी न पियें, 10-15 मिनट के बाद ही पियें।
- फ्रिज का नहीं, मटके या सुराही का पानी पियें।
- इस ऋतु में प्रातः पानी प्रयोग अवश्य करना चाहिए। वायु-सेवन, योगासन, हलका व्यायाम एवं तेल मालिश लाभदायक है।
- रात को देर तक जागना और सुबह देर तक सोना त्याग दें। अधिक व्यायाम, अधिक परिश्रम, धूम में टहलना, अधिक उपवास, भूख प्यास सहना ये सभी इस ऋतु में वर्जित हैं।
- तुलसी, पुदीना, इलायची, सौंफ, मुलहटी और गुर्च की चाय पिएं।
- बेल का शरबत या मुरब्बा ले.
- अम्लपित्त शांत करने के लिए-
जौ, गेहूँ या चावल का सत्तू मिश्री के साथ खायें।
भोजन के बाद आँवले का रस पियें।
शहद, केला, अदरक, धनिया आदि सेवनीय हैं।
रात को 3 से 5 ग्राम त्रिफला चूर्ण गुनगुने पानी के साथ लें।
- घमौरियों पर मुलतानी मिट्टी का लेप करने अथवा गाय का गोबर मलने से ठंडक मिलती है था चुभन व खुजली मिटती है।
घमौरियों पर राख मलें।
- दूर्वा और आँवला ठंडे पानी में पीसकर मस्तक पर लेप करने पर नाक से खून गिरना बंद होता है। प्याज का रस नाक में डालें।देशी गाय के घी को ठंडे पानी से 7 बार धोकर मस्तक पर लेप करें।
- शरीर की जलन दूर करने के लिए जौ के सत्तू में मिश्री मिलाकर खायें। ठंडा पानी पियें तथा आँवले के पानी में महीन वस्त्र भिगोकर ओढ़ें। धनिया रात भर ठंडे पानी में भिगो दें। प्रातः घोंट-छानकर मिश्री के साथ पियें।
- चावल की खीर लें।
-आंवले का मुरब्बा, पेठा और गुलाब के फूलों से बना गुलकन्द का सेवन गर्मियों में विशेष रूप से लाभप्रद है।
क्या न खाए
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-कड़वे, खंट्टे, चटपटे, मिर्च-मसालेदार तले पदार्र्थो और गरिष्ठ (भारी) भोजन से बचें।
-खट्टा दही न खाएं। इसकी जगह ताज़ा छाछ ले.
-उड़द, चने की दाल, खटाई, अमचुर और सिरका न लें।
-पराठा व पूड़ी कम खाएं।
-बासी भोजन न करें।
- मसाले जैसे, मिर्च, अदरक, काली मिर्च, जीरा और दालचीनी आदि शरीर में गर्माहट पैदा करती हैं।
- रोटी गेहूं के आटे की बनाई जाती है, जो कि जल्दी हजम नहीं होती तथा शरीर में गर्मी पैदा करती है। रोटी को रात के समय खाना ज्यादा बेहतर होता है। दिन में केवल चावल ही खाएं।
- गर्मी के समय 1 या 2 आम खाने से कुछ नहीं होता मगर इससे ज्यादा आम खाने से शरीर में गर्मी पैदा हो जाती है।
- रोज दूध पीना, चीज और दही आदि खाना बंद कर दें। इन पदार्थों को खाने से गर्मी पैदा होती है।
- आइसक्रीम और कोल्ड्रिंक ये दोनों ही चीजे़ शरीर को कर्म करती हैं। इन्हें खाने से पेट में गर्मी पैदा होती है लेकिन आपको पता नहीं चलता.
- तले हुए और जंक फ़ूड से पेट गड़बड़ हो जाता है.
- चाय और कॉफी दोनों ही चाय और कॉफी शरीर में गर्मी पैदा करती है।
- ड्राई फ्रूट्स स्वास्थ्य के लिये अच्छे होते हैं लेकिन गर्मी में इनका सेवन नहीं करना चाहिये क्योंकि इनमें बहुत गर्मी होती है।
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