श्री मदभागवतम् में ब्रह्माण्ड उत्पति का जो वर्णन मिलता है वो इस प्रकार है :
ब्रह्माण्ड उत्पति से पूर्व भगवान विष्णु ही केवल विधमान थे और शयनाधीन थे. विष्णु जी की नाभि से एक कमल अंकुरित हुआ । उसी कमल में ब्रह्मा विराजमान थे।
While Vishnu is asleep, a lotus sprouts of his navel (note that navel is symbolized as the root of creation!). Inside this lotus, Brahma resides. Brahma represents the universe which we all live in, and it is this Brahma who creates life forms.
यहाँ नाभि से कमल अंकुरित होने का अभिप्राय एक बिंदु से ब्रह्माण्ड उत्पति है. एक बिंदु से ब्रह्माण्ड का उद्गम हुआ इसी को दर्शाने के लिए यहाँ कमल का अलंकर प्रयुक्त किया गया है ।
कमल में विराजमान ब्रह्मा सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड का प्रतिनिधित्व करते है अर्थात ब्रह्मा ही ब्रह्माण्ड है इसी कारण इसे ब्रह्म+अण्ड (Cosmic Egg) कहा गया है .
बिल्कुल इसी प्रकार के थ्योरी आधुनिक विज्ञानं की है जिसे बिगबेंग की संज्ञा दी गयी । इसमे बताया गया है की ब्रह्माण्ड उत्पति एक बिंदु (शुन्य) से हुई .
Brahma represents our universe which has birth and death, a big bang and a big crunch from a navel singularity. Vishnu represents the eternity that lies beyond our universe which has no birth or death and that which is eternal! Many such universes like ours exist in Vishnu.
ब्रह्माण्ड उत्पति से पूर्व जो शक्ति विद्यमान थी वो विष्णु है, जिस ब्रह्माण्ड में अभी हम है ये अस्थायी है, इसका आरंभ व् अंत सतत रूप से होता रहता है। किन्तु ब्रह्माण्ड अंत के पश्चात पुनः सब पदार्थ व् अपदार्थ उसी शक्ति में विलीन हो जाते है जो श्री विष्णु का स्वरुप है।
शास्त्रों में ब्रह्मा की आयु 100 वर्ष बताई गयी है ब्रह्मा की आयु अर्थात ब्रह्माण्ड की आयु.
जैसा की हम ऊपर कह चुके है की चतुर्मुखी ब्रह्मा , ब्रह्माण्ड का प्रतिनिधित्व करते है . चारों वेदों की उत्पति इन्ही से हुई है अतः चोरों वेदों के ज्ञाता होने के कारन ही ये चतुर्मुखी है .
इसी प्रकार की व्याख्या ऋग्वेद के १ ० वें मंडल के १ २ ९ वें सूक्त (नासदीय सूक्त) में मिलती है !
इन 100 ब्रह्म वर्षों के पश्चात ब्रह्माण्ड का अंत एक महासंकुचन (big crunch) के साथ होता है . वेदों का कहना है की अब तक कई ब्रह्मा आये और गये अर्थात जिस ब्रह्माण्ड में हम जी रहे है ये न ही प्रथम है और न ही अंतिम .
Vedas say that thousands of brahmas have passed away! In other words, this is not the first time universe has been created.
अब हम ये देखते है की ब्रह्मा का 1 वर्ष हमारे लिए कितना बड़ा है .
ब्रह्मा का 1 वर्ष :
ब्रह्मा के प्रत्येक वर्ष में 360 दिन होते है।
ब्रह्मा का 1 दिन :
ब्रह्मा के 1 दिन में दिन +रात होते है . जिसे एक कल्प भी कहा जाता है ,
A kalpa is made up of brahma’s one day and one night.
ब्रह्मा केवल दिन में ही स्रष्टि रचते है और रात्रि में उनके निद्राधीन होते ही ब्रह्माण्ड का अंत उंसी प्रकार होता है जैसे कोई सुन्दर स्वप्न टुटा हो .
हम, मानव दिन में कार्य करते है तथा रात्रि को नींद में स्वप्न देखते है और हमारे स्वप्न की एक अलग ही दुनिया होती है जिसे स्वप्न आकाश कहा जाता है। जो प्रतेक व्यक्ति का भिन्न होता है। किन्तु ब्रह्मा जी का हिसाब किताब मनुष्यों से उल्टा है, वे दिन समय में जो स्वप्न देकते है वह उनका स्वप्न आकाश है जो ब्रह्माण्ड है और अनंत है जिसमे सारा ब्रहमांड तथा चराचर जिव, हम मनुष्य आदि जीते है।
इसी करण हमारे यहाँ कहा गया है :- "ब्रह्म सत्य, जगह मिथ्या"
जगह को मिथ्या इसी लिए कहा गया है क्यू की ये तो ईश्वर का एक सुन्दर स्वप्न मात्र है। और ब्रह्म सत्य इसलिए क्यू की जगत के अंत के पश्चात एक ईश्वर ही शेष रहता है।
तो कुल मिला कर बात यह है की ब्रह्मा दिन में जो स्वप्न देखते है, हम उसी में जीते है और रात्रि में निद्राधीन होते ही ब्रह्मा (ब्रह्माण्ड) सुप्त अवस्था में चले जाते है . और अगले दिन पुनः उनका स्वप्न आरंभ होता है और ब्रहमांड उपस्थित हो जाता है .
अब देखना ये है की ब्रह्मा का एक दिन कितना बड़ा होता है ??
ब्रह्मा के एक दिन (एक कल्प) में 28 मन्वन्तर होते है . अर्थात दिन समय में 14 मन्वन्तर और 14 ही रात्रि में .
ब्रह्मा का 1 मन्वन्तर :
ब्रह्मा के 1 मन्वन्तर में 71 महायुग होते है ।
ब्रह्मा का १ महायुग :
ब्रह्मा के 1 महायुग में 4 युग होते है । क्रमश : सत्य(क्रेता) , त्रेता , द्वापर , कलि ।
सत्य युग महायुग का 40 % भाग होता है
त्रेता युग महायुग का 30 % भाग होता है
द्वापर युग महायुग का 20 % भाग होता है
कलि युग महायुग का 10 % भाग होता है
यदि उपरोक्त वर्णन आपको पूर्णतया समझ आ गया है तो अभी हम जिस समय में जी रहे है वो भी समझ आ जायेगा ।
अभी हम
"ब्रह्मा के 51वे वर्ष के 1(पहले) दिन के 7 वे मन्वन्तर के 28 वे महायुग के 4थे युग (कलियुग)"
में है ।
ब्रह्मा से सम्बंधित डाटा एक साथ लिख लेते है :
ब्रह्मा की आयु : 100 वर्ष
1 वर्ष = 360 दिन
1 दिन = 1 कल्प =28 मन्वन्तर
1 मन्वन्तर = 71 महायुग
1 महायुग = 4 युग
गणना :
कलियुग की आयु जो बताई गई है वो है : 4,32,000 साल ।
अब तक हमने केवल थ्योरी देखि पर अब हमारे पास एक आंकड़ा " 4,32,000 साल " आ चूका है अतः अब ब्रह्मा के 100 वर्ष हम मनुष्यों के लिए कितने है ये ज्ञात कर सकते है . अब गणना निचे से ऊपर की और चलेगी और थोड़ी कठिन होगी कृपया ध्यान से समझें ।
कलि युग = 4,32,000 साल
कलियुग महायुग का 10 % है अतः 1 महायुग कितना हुआ ?
1 महायुग का 10 % = 4,32,000
1 महायुग कुल = 4,32,000* (100 /10 )= 4,320,000 साल ।
1 महायुग = 4,320,000 साल हमारे पास आ चूका है अब आगे की गणनाओं में ईकाई महायुग ही लेंगे ।
ब्रह्मा के 1 मन्वन्तर में 71 महायुग होते है ।
1 मन्वन्तर = 71 महायुग
ब्रह्मा के 1 पूर्ण दिन में 28 मन्वन्तर होते है, किन्तु हमें केवल दिन अर्थात 14 मन्वन्तर ही लेने है क्यू की रात्रि अर्थात महाविनाश ।
1 दिन = 14 *71 = 994 महायुग ।
अब यहाँ एक नियतांक (Constant) और शामिल करना होगा । वेदों के अनुसार ब्रह्मा के प्रत्येक मन्वन्तर के मध्य 4 युगों का समय अंतराल होता है । अर्थात किसी मन्वन्तर के प्रारंभ होने से पूर्व तथा पश्चात ४ युगों का अंतराल ।
ब्रह्मा के दिन के 14 मन्वन्तरों में अंतराल हुए = 15
प्रत्येक अंतराल = 4 युग
तो 14 मन्वन्तरों में कुल अंतराल = 15 *4 = 60 युग
60 युग = 60 /10 = 6 महायुग {चूँकि कलि युग महायुग का 10% भाग होता है }
1 दिन = 994 +6 = 1000 महायुग ।
1000* 4,320,000= 4 ,320 ,000 ,000 साल । {१ महायुग =4,320,000}
ये सिर्फ ब्रह्मा के दिन का मान है अब इतना का इतना रात्रि के लिए और जोड़ने पर :
ब्रह्मा 1 एक पूर्ण दिन (दिन+रात)
= 4 ,320 ,000 ,000 +4 ,320 ,000 ,000 =8 ,640 ,000 ,000 साल (8 अरब 64 करोड़)
ये केवल ब्रह्मा का 1 दिन है ।
ब्रह्मा का 1 वर्ष = 360 दिन
ब्रह्मा के 100 वर्ष = 100*360 * 8 ,640 ,000 ,000
जैसा की हम ऊपर देख चुके है :
हम अभी
"ब्रह्मा के 51वे वर्ष के 1(पहले) दिन के 7 वे मन्वन्तर के 28 वे महायुग के 4थे युग (कलियुग)"
में है ।
जितना समय ब्रह्मा के जन्म का हो चूका है उतनी ही इस ब्रह्माण्ड की आयु हो चुकी है ।
अर्थात
ब्रह्मा के 51वे वर्ष के 1(पहले) दिन के 7 वे मन्वन्तर के 28वे महायुग के 3 (तीसरे) युग (दवापरयुग) तक का समय बीत चूका है । और अभी चोथा (कलि) चल रहा है ।
कलि के लगभग 5000 वर्ष भी बित चुके है । इन 5000 वर्षों को छोड़ भी दें तो कोई खास फर्क नही पड़ेगा ।
ये ब्रह्माण्ड कितना पुराना है ? :
28 वे महायुग के तिन (सत्य, त्रेता, दवापर) बित चुके है!
1 महायुग = 4,320,000
कलि महायुग का 10 % होता है =4,320,000*(10 /100 ) =4,32,000
कलि अभी चल रहा है इसलिए इसे महायुग मेसे घटा देते है =
4,320,000-4,32,000= 3888000 वर्ष, 28 वे महायुग के बीत चुके है ।
बिता हुआ समय = 27 महायुग + 3888000 वर्ष
उपरोक्त समय 7 वे मन्वन्तर का है । इससे पहले 6 मन्वन्तर पुरे बीत चुके है ।
6 मन्वन्तर = 426 महायुग {चूँकि 1 मन्वन्तर = 71 महायुग }
बिता हुआ समय = 426 महायुग +27 महायुग + 3888000 वर्ष।
ध्यान रहे हमें नियतांक और शामिल करना होगा । वेदों के अनुसार ब्रह्मा के प्रत्येक मन्वन्तर के मध्य 4 युगों का समय अंतराल होता है ।
6 मन्वन्तरों में कुल अन्तराल = 6 * 4 = 24 युग
=2.4 महायुग {चूँकि कलि युग महायुग का 10 % भाग होता है}
बिता हुआ समय = 2.4 महायुग+426 महायुग +27 महायुग + 3888000 वर्ष।
अब हम ब्रह्मा के 51 वे वर्ष के 1 दिन तक की गणना कर चुके है । इससे पीछे नही जाना क्यू की इससे पीछे
ब्रह्मा के 50 वे वर्ष का 360 वां दिन की रात्रि आ जायेगी , रात्रि मतलब विनाश । और उसे भी पूर्व जायेंगे तो
ब्रह्मा के 50 वे वर्ष का 360 वां दिन आ जायेगा, वो दिन इस दिन से भिन्न है अर्थात ब्रह्मा का वो स्वप्न इस स्वप्न से भिन्न है अर्थात वो ब्रह्माण्ड इस ब्रह्माण्ड का भूतपूर्व है ।
इस ब्रह्माण्ड की कुल आयु = 2.4 महायुग+426 महायुग +27 महायुग + 3888000 वर्ष।
= 455.4 महायुग+ 3888000 वर्ष।
= 455.4 * 4,320,000 + 3888000 वर्ष {चूँकि 1 महायुग =4,320,000 }
=1972944000 वर्ष
इस कलि के 5000 वर्ष बित चुके है यदि उन्हें भी जोड़े तो ब्रह्माण्ड की कुल आयु =
1972944000 वर्ष + 5000
=1972949000 वर्ष !
इस ब्रह्माण्ड का अंत कब ? :
एक बार पुनः
हम अभी
"ब्रह्मा के 51वे वर्ष के 1(पहले) दिन के 7 वे मन्वन्तर के 28 वे महायुग के 4थे युग (कलियुग)"
में है ।
ब्रह्मा के केवल इस दिन समय तक ये ब्रह्माण्ड रहेगा ।
कलियुग के वर्ष = 4,32,000 वर्ष
इस कलियुग के लगभग 5000 वर्ष बीत चुके है, इसे अंत में घटाएंगे ।
इसके पश्चात 29 वे महायुग का 1 (प्रथम) युग सत्ययुग प्रारंभ होगा ।
ब्रह्मा के 7 वे मन्वन्तर के पूर्ण होने में शेष महायुग :
71 - 28 = 43 महायुग + इस कलियुग के 4,32,000 वर्ष
=43 महायुग+4,32,000 वर्ष
इस समय के पश्चात 8 वां मन्वन्तर प्रारंभ होगा ।
ब्रह्मा के इस दिन के शेष मन्वन्तर = 14-7 =7 मन्वन्तर
7 मन्वन्तर = 71*7 महायुग {चूँकि 1 मन्वन्तर = 71 महायुग }
ध्यान रहे हमें नियतांक और शामिल करना होगा । वेदों के अनुसार ब्रह्मा के प्रत्येक मन्वन्तर के मध्य 4 युगों का समय अंतराल होता है ।
7 मन्वन्तरों में कुल अन्तराल = 7*4 = 28 युग
=2.8 महायुग {चूँकि कलि युग महायुग का 10 % भाग होता है}
ब्रह्मा के इस दिन के ख़तम होने में शेष समय =
2.8 महायुग+71*7 महायुग+43 महायुग+4,32,000 वर्ष
=471.8 महायुग+4,32,000 वर्ष
=471.8 *4,320,000 +4,32,000 वर्ष {चूँकि १ महायुग =4,320,000 }
=2038607000 वर्ष
इस कलियुग के लगभग 5000 वर्ष बीत चुके है, इसे घटाने पर :
2038607000 -5000 =2038602000 वर्ष
इसके पश्चात हमें और आगे नही जाना है क्यू की इसके आगे "ब्रह्मा के 51वे वर्ष के 1(पहले) दिन की रात्रि आयेगी । रात्रि अर्थात महाविनाश । और उसके आगे ब्रह्मा के 51वे वर्ष का 2 (दूसरा) दिन प्रारंभ होगा । वो स्वप्न इस स्वप्न से भिन्न होगा अर्थात वो ब्रह्माण्ड इस ब्रह्माण्ड के पश्चात आयेगा ।
इस प्रकार आप देख सकते है की ब्रह्मा के प्रत्येक दिन में एक नए स्वप्न (ब्रह्माण्ड ) का निर्माण होता है वो रात्रि में ख़तम हो जाता है । इस प्रकार कितने ही ब्रह्माण्ड जा चुके है और कितने ही आने वाले है !!!
यदि आपने कभी टीवी पर पोराणिक सीरियल देखें हो तो आपको स्मरण होगा ब्रह्मा जी अपनी पत्नी सरस्वती से कहते है की अभी कुछ समय पश्चात में सो जाऊंगा और उसके साथ ही स्रष्टि का अंत हो जायेगा ।
उमीद है ब्रह्मा जी के इस वाक्य का अर्थ आपको समझ आ गया होगा !
अब एक प्रशन ये भी उठता है की यदि 2038602000 वर्ष पश्चात प्रलय होनी है तो इस कलियुग के पश्चात अर्थात 4,32,000 वर्ष पश्चात प्रलय क्यू बताई जाती है ?
मेंरे मतानुसार 4,32,000 वर्ष पश्चात प्रलय नही होगी अपितु प्रलय सामान ही एक महापरिवर्तन होगा । पुराणो के अनुसार जैसे जैसे कलियुग प्रभावी (जवान) होगा वैसे वैसे समाज में गंदगी बढेगी । घोर कलियुग में एक भी अच्छा मनुष्य ढुंढने पर भी नही मिलेगा । गंदे काम खुल्लम खुल्ला होंगे । तब श्री विष्णु का अंतिम "कल्कि" अवतार होगा । कल्कि पुराण के अनुसार उनका जन्म शम्भल गाँव में होगा और पिता (एक ब्राह्मण) का नाम होगा विष्णु यशा । शम्भल गाँव शायद मध्यप्रदेश में है अथवा होगा ।
और इसके साथ ही 29 वे महायुग का सत्य युग प्रारंभ होगा ।
उपरोक्त आंकड़े आज की विज्ञानं को भी टक्कर दे रहे है । या यूँ कहा जाये की आधुनिक विज्ञानं वेदों के आगे पाणी भरती है।
प्रसिद्ध ब्रह्माण्ड विज्ञानी कार्ल सेगन ने अपनी पुस्तक Cosmos में लिखा है :
The Hindu religion is the only one of the world’s great faiths dedicated to the idea that the Cosmos itself undergoes an immense, indeed an infinite, number of deaths and rebirths. It is the only religion in which the time scales correspond, to those of modern scientific cosmology. Its cycles run from our ordinary day and night to a day and night of Brahma, 8.64 billion years long. Longer than the age of the Earth or the Sun and about half the time since the Big Bang. And there are much longer time scales still. - Carl Sagan, Famous Astrophysicist
ब्रह्मलोक ब्रह्माण्ड का केंद्र है :
वैदिक ऋषियों के अनुसार वर्तमान सृष्टि पंच मण्डल क्रम वाली है। चन्द्र मंडल, पृथ्वी मंडल, सूर्य मंडल, परमेष्ठी मंडल और स्वायम्भू मंडल। ये उत्तरोत्तर मण्डल का चक्कर लगा रहे हैं।
जैसी चन्द्र प्रथ्वी के, प्रथ्वी सूर्य के , सूर्य परमेष्ठी के, परमेष्ठी स्वायम्भू के|
चन्द्र की प्रथ्वी की एक परिक्रमा -> एक मास
प्रथ्वी की सूर्य की एक परिक्रमा -> एक वर्ष
सूर्य की परमेष्ठी (आकाश गंगा) की एक परिक्रमा ->एक मन्वन्तर
परमेष्ठी (आकाश गंगा) की स्वायम्भू (ब्रह्मलोक ) की एक परिक्रमा ->एक कल्प
स्वायम्भू मंडल ही ब्रह्मलोक है । स्वायम्भू का अर्थ स्वयं (भू) प्रकट होने वाला । यही ब्रह्माण्ड का उद्गम स्थल या केंद्र है ।
हमारे पूर्वजों ने जहां खगोलीय गति के आधार पर काल का मापन किया, वहीं काल की अनंत यात्रा और वर्तमान समय तक उसे जोड़ना तथा समाज में सर्वसामान्य व्यक्ति को इसका ध्यान रहे इस हेतु एक अद्भुत व्यवस्था भी की थी, जिसकी ओर साधारणतया हमारा ध्यान नहीं जाता है। हमारे देश में कोई भी कार्य होता हो चाहे वह भूमिपूजन हो, वास्तुनिर्माण का प्रारंभ हो- गृह प्रवेश हो, जन्म, विवाह या कोई भी अन्य मांगलिक कार्य हो, वह करने के पहले कुछ धार्मिक विधि करते हैं। उसमें सबसे पहले संकल्प कराया जाता है। यह संकल्प मंत्र यानी अनंत काल से आज तक की समय की स्थिति बताने वाला मंत्र है। इस दृष्टि से इस मंत्र के अर्थ पर हम ध्यान देंगे तो बात स्पष्ट हो जायेगी।
संकल्प मंत्र में कहते हैं....
ॐ अस्य श्री विष्णोराज्ञया प्रवर्तमानस्य ब्राहृणां द्वितीये परार्धे
अर्थात् महाविष्णु द्वारा प्रवर्तित अनंत कालचक्र में वर्तमान ब्रह्मा की आयु का द्वितीय परार्ध-वर्तमान ब्रह्मा की आयु के 50 वर्ष पूरे हो गये हैं।
श्वेत वाराह कल्पे-कल्प याने ब्रह्मा के 51वें वर्ष का पहला दिन है।
वैवस्वतमन्वंतरे- ब्रह्मा के दिन में 14 मन्वंतर होते हैं उसमें सातवां मन्वंतर वैवस्वत मन्वंतर चल रहा है।
अष्टाविंशतितमे कलियुगे- एक मन्वंतर में 71 चतुर्युगी होती हैं, उनमें से 28वीं चतुर्युगी का कलियुग चल रहा है।
कलियुगे प्रथमचरणे- कलियुग का प्रारंभिक समय है।
कलिसंवते या युगाब्दे- कलिसंवत् या युगाब्द वर्तमान में 5104 चल रहा है।
जम्बु द्वीपे, ब्रह्मावर्त देशे, भारत खंडे- देश प्रदेश का नाम
अमुक स्थाने - कार्य का स्थान
अमुक संवत्सरे - संवत्सर का नाम
अमुक अयने - उत्तरायन/दक्षिणायन
अमुक ऋतौ - वसंत आदि छह ऋतु हैं
अमुक मासे - चैत्र आदि 12 मास हैं
अमुक पक्षे - पक्ष का नाम (शुक्ल या कृष्ण पक्ष)
अमुक तिथौ - तिथि का नाम
अमुक वासरे - दिन का नाम
अमुक समये - दिन में कौन सा समय
उपरोक्त में अमुक के स्थान पर क्रमश : नाम बोलने पड़ते है ।
जैसे अमुक स्थाने : में जिस स्थान पर अनुष्ठान किया जा रहा है उसका नाम बोल जाता है ।
उदहारण के लिए दिल्ली स्थाने, ग्रीष्म ऋतौ आदि |
अमुक - व्यक्ति - अपना नाम, फिर पिता का नाम, गोत्र तथा किस उद्देश्य से कौन सा काम कर रहा है, यह बोलकर संकल्प करता है।
इस प्रकार जिस समय संकल्प करता है, सृष्टि आरंभ से उस समय तक का स्मरण सहज व्यवहार में भारतीय जीवन पद्धति में इस व्यवस्था के द्वारा आया है।
0 comments :
Post a Comment