- मिटटी के इन छोटे छोटे गिलासों को कुल्हड़ कहते है .
- कभी सफ़र पर जाते समय रास्ते में रुक कर हरे भरे खेतों के बीच किसी ढाबे से मिटटी के कुल्हड़ में चाय पीने का मज़ा ही कुछ और है .
- चाय पी कर इन्हें फेंक दो , न धोने का झंझट और ना ही पर्यावरण दूषित होने का डर .
- मिटटी के कुल्हड़ में रबडी , मसाला दूध , लस्सी , छाछ आदि भी पीया जा सकता है ....
- मिटटी की सौंधी खुशबु से दूध का स्वाद दुगना हो जाता है .
- मिटटी में मौजूद सूक्ष्म पोषक तत्व हमें मिल जाते है और मिटटी की शुद्ध करने की शक्ति से शुद्ध और पोषक पेय पीने से तरावट आ जाती है .
- इनसे कुम्हारों को रोज़गार भी मिलता है . स्वदेशी कुम्हारों के फ़ोकट के मार्केटिंग एजेंट है !
- इसलिए डिस्पोजेबल प्लास्टिक के और हानिकारक केमिकल्स से बने ग्लासेज़ को कहे बाय और अपनाये मिटटी के कुल्हड़ .
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